KALIMPONG : हिल्स की समस्या का समाधान किये जाने और विभिन्न निर्णय का गैरसरकारी संस्थाओं ने स्वागत किया है। संस्थाओं के पदाधिकारियों ने कहा कि यह फैसला पहाड़वासियों के हित में है और इसके भविष्य में सकारात्मक परिणाम आएंगे। यह विकास वाला निर्णय है।
दुख निवारक सम्मेलन व कालिम्पोंग संरक्षण समिति के अध्यक्ष उदय कुमाई ने कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेताओं ने सकारात्मक वार्ता की है। इससे भविष्य में दूरगामी परिणाम आएंगे और सार्थक नतीजे से लोगों का उत्थान होगा। हालांकि नेताओं को यह भी ध्यान रखना होगा कि अलग राज्य गोरखालैंड के गठन का मुद्दा पीछे नहीं रह जाए। इसके लिए उन्हें आगे की लड़ाई जारी रखनी चाहिए और आंदोलन करते रहना चाहिए। इससे इनकार नहीं है कि कई वर्षो बाद पहाड़ में रौनक लौटी है और नई सरकार से उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। वार्ता के परिणाम से यह भी स्पष्ट हो गया है कि पूर्व में दार्जिलिंग गोरखा पार्वत्य परिषद में जो भू-भाग रह गया था, वह वापस मिल जाएगा। सही मायने में देखा जाए तो यह बड़ी उपलब्धि होगी। यही नहीं मुख्यमंत्री ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह आने वाले दिनों में हिल्स का विकास करेंगी। ऐसे में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा का कर्तव्य होगा कि वह अपने मुद्दे को याद रखे और अपनी मांग पर बना रहे। जो लोग यह सोच रहे हैं कि गोजमुमो अपने मुद्दे को भूल गया है, वह गलत हैं ऐसी कोई बात नहीं है। मोर्चा अपने मुद्दे को कभी नहीं भूला है और गोरखालैंड के लिए संघर्ष जारी रहेगा। सरकारी पेंशनर्स एसोसिएशन के महकमा अध्यक्ष डीबी क्षेत्री ने कहा कि मोर्चा ने जनता के हितों का ख्याल रखा है और इसके फायदे होंगे। सही मायने में यह समझौता लोगों के लिए विकास के रास्ते खोलेगा पहाड़ वासियों के लिए रोजगार सृजन के रास्ते भी खुलेंगे। हालांकि गोजमुमो ने यह भी तय कर दिया है कि आने वाले दिनों में वह अपने आंदोलन को जारी रखेगी और गोरखालैंड के लिए जनता से मिले प्यार का सम्मान करेगी। ईमी भूटिया एसोसिएशन के अध्यक्ष सोनाम टी. भूटिया ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि गोजमुमो और पहाड़ के लोगों को सीमांकन का लाभ मिलेगा, लेकिन एक बात यह भी तय है कि यह कार्य कमेटी के लिए काफी कठिन होगा। इसके अलावा मोर्चा को गोरखालैंड के मुद्दे को भी याद रखना होगा और इसके लिए लड़ाई जारी रखनी होगी। हालांकि पूर्व में आंदोलन और बंद के कारण जो नुकसान हुआ, उस पर इस समझौते के बाद रोक लगेगा और विकास की गंगा बहेगी।
दुख निवारक सम्मेलन व कालिम्पोंग संरक्षण समिति के अध्यक्ष उदय कुमाई ने कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेताओं ने सकारात्मक वार्ता की है। इससे भविष्य में दूरगामी परिणाम आएंगे और सार्थक नतीजे से लोगों का उत्थान होगा। हालांकि नेताओं को यह भी ध्यान रखना होगा कि अलग राज्य गोरखालैंड के गठन का मुद्दा पीछे नहीं रह जाए। इसके लिए उन्हें आगे की लड़ाई जारी रखनी चाहिए और आंदोलन करते रहना चाहिए। इससे इनकार नहीं है कि कई वर्षो बाद पहाड़ में रौनक लौटी है और नई सरकार से उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। वार्ता के परिणाम से यह भी स्पष्ट हो गया है कि पूर्व में दार्जिलिंग गोरखा पार्वत्य परिषद में जो भू-भाग रह गया था, वह वापस मिल जाएगा। सही मायने में देखा जाए तो यह बड़ी उपलब्धि होगी। यही नहीं मुख्यमंत्री ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह आने वाले दिनों में हिल्स का विकास करेंगी। ऐसे में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा का कर्तव्य होगा कि वह अपने मुद्दे को याद रखे और अपनी मांग पर बना रहे। जो लोग यह सोच रहे हैं कि गोजमुमो अपने मुद्दे को भूल गया है, वह गलत हैं ऐसी कोई बात नहीं है। मोर्चा अपने मुद्दे को कभी नहीं भूला है और गोरखालैंड के लिए संघर्ष जारी रहेगा। सरकारी पेंशनर्स एसोसिएशन के महकमा अध्यक्ष डीबी क्षेत्री ने कहा कि मोर्चा ने जनता के हितों का ख्याल रखा है और इसके फायदे होंगे। सही मायने में यह समझौता लोगों के लिए विकास के रास्ते खोलेगा पहाड़ वासियों के लिए रोजगार सृजन के रास्ते भी खुलेंगे। हालांकि गोजमुमो ने यह भी तय कर दिया है कि आने वाले दिनों में वह अपने आंदोलन को जारी रखेगी और गोरखालैंड के लिए जनता से मिले प्यार का सम्मान करेगी। ईमी भूटिया एसोसिएशन के अध्यक्ष सोनाम टी. भूटिया ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि गोजमुमो और पहाड़ के लोगों को सीमांकन का लाभ मिलेगा, लेकिन एक बात यह भी तय है कि यह कार्य कमेटी के लिए काफी कठिन होगा। इसके अलावा मोर्चा को गोरखालैंड के मुद्दे को भी याद रखना होगा और इसके लिए लड़ाई जारी रखनी होगी। हालांकि पूर्व में आंदोलन और बंद के कारण जो नुकसान हुआ, उस पर इस समझौते के बाद रोक लगेगा और विकास की गंगा बहेगी।
जादुई फार्मूले और आगे की रणनीति पर होगा विचार
DARJEELING : कई दिनों से चल रहे दार्जिलिंग मसले के जादुई हल होने और विभिन्न मुद्दों पर प्रदेश सरकार से सहमति के बाद गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता गदगद हैं। कोलकाता से लौटने के बाद प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने आपसी विचार-विमर्श किया, लेकिन अभी भी केंद्रीय कमेटी के नेताओं को सभी निर्णय से अवगत नहीं कराया गया है। इस बाबत केंद्रीय कमेटी के नेताओं की बैठक 14 जून को होगी। इस दौरान सभी नेता आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करेंगे।
यह जानकारी गुरुवार को बातचीत के दौरान गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के केंद्रीय सह-सचिव राजू प्रधान ने दी। उन्होंने बताया कि बैठक में बीते छह व सात जून को मोर्चा, मुख्यमंत्री व प्रदेश सरकार के बीच हुई वार्ता के नतीजे पर चर्चा होगी। इसके अलावा आने वाले दिनों में मोर्चा के एजेंडे व विभिन्न विषयों पर विचार किया जाएगा। माना जा रहा है कि बैठक में सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग द्वारा विधानसभा में अलग राज्य गोरखालैंड को लेकर प्रस्ताव पारित किये जाने व उनके सम्मान समारोह पर भी बातचीत की जाएगी। गौरतलब है कि गोरखालैंड के लिए गोजमुमो ने कई वर्ष आंदोलन किये। इस दौरान बीते विधानसभा चुनाव में इस दल के पहाड़ में के विभिन्न क्षेत्रों दार्जिलिंग, कर्सियांग व कालिम्पोंग के तीनों सीटों से इस दल के उम्मीदवारों ने एकतरफा चुनाव जीता था। यह भी घोषणा की गई थी कि आने वाले दिनों गोरखालैंड के लिए आंदोलन जारी रहेगा।
यह जानकारी गुरुवार को बातचीत के दौरान गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के केंद्रीय सह-सचिव राजू प्रधान ने दी। उन्होंने बताया कि बैठक में बीते छह व सात जून को मोर्चा, मुख्यमंत्री व प्रदेश सरकार के बीच हुई वार्ता के नतीजे पर चर्चा होगी। इसके अलावा आने वाले दिनों में मोर्चा के एजेंडे व विभिन्न विषयों पर विचार किया जाएगा। माना जा रहा है कि बैठक में सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग द्वारा विधानसभा में अलग राज्य गोरखालैंड को लेकर प्रस्ताव पारित किये जाने व उनके सम्मान समारोह पर भी बातचीत की जाएगी। गौरतलब है कि गोरखालैंड के लिए गोजमुमो ने कई वर्ष आंदोलन किये। इस दौरान बीते विधानसभा चुनाव में इस दल के पहाड़ में के विभिन्न क्षेत्रों दार्जिलिंग, कर्सियांग व कालिम्पोंग के तीनों सीटों से इस दल के उम्मीदवारों ने एकतरफा चुनाव जीता था। यह भी घोषणा की गई थी कि आने वाले दिनों गोरखालैंड के लिए आंदोलन जारी रहेगा।
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