DARJEELING : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख विमल गुरुंग ने पिछले दिनों प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ वार्ता की। इसके बाद इस दल ने एक-एक कर केंद्र व राज्य सरकार से बातचीत की। इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी कि उन्होंने जादुई फार्मूले से दार्जिलिंग समस्या का समाधान कर दिया है और सीमांकन की घोषणा भी कर डाली। इस निर्णय में यह बात साफ हो गई कि गोजमुमो इस बात से कैसे सहमत हो गया। इस दल को जनता ने गोरखालैंड के मुद्दे पर चुना था, लेकिन आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी आ गई कि यह समझौता करना पड़ा।
यह बातें पहाड़ के स्थानीय दल के नेताओं में इस समय चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस बाबत स्थानीय दल के नेताओं की बयानबाजी बढ़ती जा रही है। अखिल भारतीय गोरखालीग के महासचिव लक्ष्मण प्रधान का कहना है कि गोजमुमो ने हिल्स की आम जनता के साथ धोखा किया है। इस दल ने चुनाव के दौरान लोगों से वादा किया था कि विधानसभा चुनाव में जीत के बाद इस दल के उम्मीदवार अलग राज्य गोरखालैंड के लिए लड़ाई करेंगे और आंदोलन जारी रहेगा, लेकिन चुनाव जीतने के बाद इस दल के नेताओं ने अपना सुर बदल लिया। गोजमुमो को यह बात भलि-भांति पता है कि इस मुद्दे से गोरखा समुदाय का अस्तित्व जुड़ा हुआ है और इससे वह कोई समझौता नहीं करेंगे। इसके बावजूद आम जनता की अनदेखी की गई। उन्होंने कहा कि जिस नई व्यवस्था को लेकर कसीदे पढ़े जा रहे हैं, वह दार्जिलिंग गोरखा पार्वत्य परिषद की ही तरह है। यह वही व्यवस्था है, जो गोरामुमो प्रमुख सुभाष घीसिंग के समय शुरू हुई थी। क्रांतिकारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता गोविंद क्षेत्री ने कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा को यह बात जनता के सामने स्पष्ट करनी होगी कि उसने इस मुद्दे से समझौता क्यों किया। यह जनता के साथ धोखा है और इसका जनता जवाब देगी। उन्होंने कहा कि तराई-डुवार्स के भू-भागों को नई व्यवस्था में शामिल करने के लिए जो कमेटी बनाई गई है, इसका परिणाम आशंका से परिपूर्ण है। सीधे तौर पर यह साफ है कि गोरखा समुदाय के हित के लिए गोरखालैंड का मुद्दे के लिए लड़ाई लड़ी जानी चाहिए और इससे कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो गोरखाओं को पहचान नहीं मिल पाएगी। गोरखा समुदाय के हित में कार्य नहीं करने पर गोजमुमो नेताओं को जनता के सवालों का जवाब देना होगा।
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यह बातें पहाड़ के स्थानीय दल के नेताओं में इस समय चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस बाबत स्थानीय दल के नेताओं की बयानबाजी बढ़ती जा रही है। अखिल भारतीय गोरखालीग के महासचिव लक्ष्मण प्रधान का कहना है कि गोजमुमो ने हिल्स की आम जनता के साथ धोखा किया है। इस दल ने चुनाव के दौरान लोगों से वादा किया था कि विधानसभा चुनाव में जीत के बाद इस दल के उम्मीदवार अलग राज्य गोरखालैंड के लिए लड़ाई करेंगे और आंदोलन जारी रहेगा, लेकिन चुनाव जीतने के बाद इस दल के नेताओं ने अपना सुर बदल लिया। गोजमुमो को यह बात भलि-भांति पता है कि इस मुद्दे से गोरखा समुदाय का अस्तित्व जुड़ा हुआ है और इससे वह कोई समझौता नहीं करेंगे। इसके बावजूद आम जनता की अनदेखी की गई। उन्होंने कहा कि जिस नई व्यवस्था को लेकर कसीदे पढ़े जा रहे हैं, वह दार्जिलिंग गोरखा पार्वत्य परिषद की ही तरह है। यह वही व्यवस्था है, जो गोरामुमो प्रमुख सुभाष घीसिंग के समय शुरू हुई थी। क्रांतिकारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता गोविंद क्षेत्री ने कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा को यह बात जनता के सामने स्पष्ट करनी होगी कि उसने इस मुद्दे से समझौता क्यों किया। यह जनता के साथ धोखा है और इसका जनता जवाब देगी। उन्होंने कहा कि तराई-डुवार्स के भू-भागों को नई व्यवस्था में शामिल करने के लिए जो कमेटी बनाई गई है, इसका परिणाम आशंका से परिपूर्ण है। सीधे तौर पर यह साफ है कि गोरखा समुदाय के हित के लिए गोरखालैंड का मुद्दे के लिए लड़ाई लड़ी जानी चाहिए और इससे कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो गोरखाओं को पहचान नहीं मिल पाएगी। गोरखा समुदाय के हित में कार्य नहीं करने पर गोजमुमो नेताओं को जनता के सवालों का जवाब देना होगा।
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