DARJEELING : क्रांतिकारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने गोजमुमो पर जनता की आखों में धूल झोंकने का आरोप लगाया है। पार्टी के महासचिव तारा मणि राई ने कहा कि अलग राज्य गोरखालैंड के गठन को लेकर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ईमानदार नहीं है। राज्य सरकार से वार्ता के दौरान अलग राज्य के नाम पर चुनाव जीतने वाला यह दल सीमांकन की बात कर रहा है। मोर्चा के नेताओं की नीयत में खोट है और इसका जनता उन्हें जवाब देगी।
उन्होंने कहा कि गोजमुमो गोरखालैंड की बात करे तो सीमांकन उसमें अपने आप आ जाता है। इसके अलावा बजट बढ़ता और कई विकास योजनाएं शुरू की जाती, लेकिन गोजमुमो धोखाधाड़ी पर उतर आया है। मोर्चा के नेता नाटकबाजी कर रहे हैं और उनके इस नाटक का खामियाजा यहां की भोली-भाली जनता को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि गोजमुमो के सेटअप से ज्यादा शक्तिशाली तो गोरामुमो प्रमुख सुभाष घीसिंग की छठी अनुसूची है। इसमें संवैधानिक सुरक्षा की भी बात की गई है और इससे गोरखा समुदाय के लोगों को काफी फायदा होगा। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान यह बात साबित हो गई कि अलग राज्य का बंग समाज भी विरोध नहीं करता है। ऐसा होता तो इस बारे में नेता विरोध के स्वर सुनाते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गोरखालैंड महत्वपूर्ण मुद्दा बना और गोजमुमो को चुनाव में भारी जीत मिली। ऐसे में नेताओं का कर्तव्य है कि वह अलग राज्य के लिए मिलकर प्रयास करें न कि पहाड़ की जनता को गुमराह करें। सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने भी अपना दरियादिल दिखाया था और सिक्किम विधानसभा में अलग राज्य गोरखालैंड का प्रस्ताव पारित कराया था। इस निर्णय से साबित होता है कि गोरखालैंड के मुद्दे पर लोगों में एकजुटता आ रही है और यह बात गोजमुमो को समझना चाहिए कि गोरखा समुदाय के पहचान के लिए गोरखालैंड जरूरी है।
उन्होंने कहा कि गोजमुमो गोरखालैंड की बात करे तो सीमांकन उसमें अपने आप आ जाता है। इसके अलावा बजट बढ़ता और कई विकास योजनाएं शुरू की जाती, लेकिन गोजमुमो धोखाधाड़ी पर उतर आया है। मोर्चा के नेता नाटकबाजी कर रहे हैं और उनके इस नाटक का खामियाजा यहां की भोली-भाली जनता को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि गोजमुमो के सेटअप से ज्यादा शक्तिशाली तो गोरामुमो प्रमुख सुभाष घीसिंग की छठी अनुसूची है। इसमें संवैधानिक सुरक्षा की भी बात की गई है और इससे गोरखा समुदाय के लोगों को काफी फायदा होगा। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान यह बात साबित हो गई कि अलग राज्य का बंग समाज भी विरोध नहीं करता है। ऐसा होता तो इस बारे में नेता विरोध के स्वर सुनाते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गोरखालैंड महत्वपूर्ण मुद्दा बना और गोजमुमो को चुनाव में भारी जीत मिली। ऐसे में नेताओं का कर्तव्य है कि वह अलग राज्य के लिए मिलकर प्रयास करें न कि पहाड़ की जनता को गुमराह करें। सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने भी अपना दरियादिल दिखाया था और सिक्किम विधानसभा में अलग राज्य गोरखालैंड का प्रस्ताव पारित कराया था। इस निर्णय से साबित होता है कि गोरखालैंड के मुद्दे पर लोगों में एकजुटता आ रही है और यह बात गोजमुमो को समझना चाहिए कि गोरखा समुदाय के पहचान के लिए गोरखालैंड जरूरी है।
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