DARJEELING: क्रांतिकारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय महासचिव गोविंद क्षेत्री ने कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने जनता की भावना से खिलवाड़ किया है। अलग राज्य गोरखालैंड की बात करने के ही कारण इस दल को हिल्स की जनता ने एकतरफा जीत दिलाई, लेकिन चुनाव जीतने के बाद गोजमुमो के विधायकों ने अपना रंग दिखा दिया। नई व्यवस्था पर प्रदेश सरकार के साथ सुर मिलाने वाले मोर्चा नेताओं का विरोध किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर गोरखा समुदाय के लोग इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं और स्वाभाविक भी है। इस दल ने सीधे तौर जनता से अपना उल्लू सीधा किया है। इसका विरोध जारी रहेगा। नेताओं को सोच-विचार करने के बाद ही जनता से वादा करना चाहिए। गोविंद क्षेत्री ने बताया कि नई व्यवस्था का क्रांतिकारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी विरोध करेगी और इसके लिए रणनीति तैयार कर ली गई है। इसके तहत दिल्ली और कोलकाता में राजनीतिक दबाव बनाया जाएगा। जनता मोर्चा के नई व्यवस्था को चलने नहीं देगी, क्योंकि जनता ने नई व्यवस्था के लिए नहीं बल्कि अलग राज्य गोरखालैंड के लिए आंदोलन किया था। ऐसे में गोजमुमो यदि यह सोचता है कि वह पहाड़ में सबसे मजबूत है तो यह उसकी गलतफहमी है। जनता ही जनार्दन है और जनता ने ठान लिया है कि वह नई व्यवस्था का विरोध करेगी। इस बात को मोर्चा को इसी से समझ लेना चाहिए कि 1980 में गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के प्रमुख सुभाष घीसिंग को हिल्स टाईगर के नाम से जाना जाता था, लेकिन जनता ने ही उन्हें कहां से कहां पहुंचा दिया। इस दौरान हुए आंदोलन की आग इतनी बढ़ गई कि घीसिंग को पहाड़ छोड़ना पड़ गया। सीधी बात है जनता अलग राज्य चाहती है और इसके बिना कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इसके लिए आंदोलन हुआ था और आने वाले दिनों में यह जारी रहेगा। नई व्यवस्था दार्जिलिंग गोरखा पार्वत्य परिषद जैसी ही है और इसका नतीजा कुछ नहीं होने वाला है।
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उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर गोरखा समुदाय के लोग इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं और स्वाभाविक भी है। इस दल ने सीधे तौर जनता से अपना उल्लू सीधा किया है। इसका विरोध जारी रहेगा। नेताओं को सोच-विचार करने के बाद ही जनता से वादा करना चाहिए। गोविंद क्षेत्री ने बताया कि नई व्यवस्था का क्रांतिकारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी विरोध करेगी और इसके लिए रणनीति तैयार कर ली गई है। इसके तहत दिल्ली और कोलकाता में राजनीतिक दबाव बनाया जाएगा। जनता मोर्चा के नई व्यवस्था को चलने नहीं देगी, क्योंकि जनता ने नई व्यवस्था के लिए नहीं बल्कि अलग राज्य गोरखालैंड के लिए आंदोलन किया था। ऐसे में गोजमुमो यदि यह सोचता है कि वह पहाड़ में सबसे मजबूत है तो यह उसकी गलतफहमी है। जनता ही जनार्दन है और जनता ने ठान लिया है कि वह नई व्यवस्था का विरोध करेगी। इस बात को मोर्चा को इसी से समझ लेना चाहिए कि 1980 में गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के प्रमुख सुभाष घीसिंग को हिल्स टाईगर के नाम से जाना जाता था, लेकिन जनता ने ही उन्हें कहां से कहां पहुंचा दिया। इस दौरान हुए आंदोलन की आग इतनी बढ़ गई कि घीसिंग को पहाड़ छोड़ना पड़ गया। सीधी बात है जनता अलग राज्य चाहती है और इसके बिना कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इसके लिए आंदोलन हुआ था और आने वाले दिनों में यह जारी रहेगा। नई व्यवस्था दार्जिलिंग गोरखा पार्वत्य परिषद जैसी ही है और इसका नतीजा कुछ नहीं होने वाला है।
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