DARJEELING : पिछले दिनों गोरखा जनमुक्ति मोर्चा व प्रदेश की मुखिया ममता बनर्जी के बीच हुई वार्ता के बाद मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि उनके जादुई फार्मूले से हिल्स समस्या का समाधान हो गया है। इस बीच गोजमुमो प्रमुख विमल गुरुंग ने जनता के बीच बयान दे डाला कि यह व्यवस्था फुल एंड फाइनल नहीं है। ऐसे में जनता भ्रमित हो गई है।
यह बातें रविवार को क्रांतिकारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता गोविंद क्षेत्री ने बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि इस बयानबाजी से जनता का भ्रम में स्वाभाविक है। पिछले दिनों गोजमुमो प्रमुख ने दावा किया कि हिल्स के विकास के लिए प्रयास हो रहा है, लेकिन इससे अलग राज्य का मुद्दा प्रभावित नहीं होगा। इस बीच प्रदेश की सरकार का कहना है कि हिल्स को स्विट्जरलैंड बनाया जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि इसके लिए उन्होंने अपनी कोई भी परिकल्पना अभी तक तैयार नहीं की है और न ही इस बाबत कोई घोषणा की है। उनका कहना है कि वह हिल्स को प्रदेश का महत्वपूर्ण अंग मानती हैं और इसके विकास के लिए तत्पर हैं, लेकिन हिल्स की हालत इसी से समझी जा सकती है कि यहां खुलेआम लोगों की हत्या हो रही है। कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। मुख्यमंत्री को कोलकाता जैसी कानून-व्यवस्था को यहां भी लागू कराना चाहिए ताकि बदमाशों के हौसले बुलंद नहीं हो और वह यहां वारदात करने से पूर्व सौ बार सोचें। हिल्स के प्रति मुख्यमंत्री का बयान उनकी नीयत में खोट को दर्शाता है। यही नहीं उनके द्वारा हिल्स को स्विट्जरलैंड बनाने और दूसरी ओर विमल के व्यवस्था को अंतिम रास्ता नहीं बताने से गोरखालैंड प्रेमी सशंकित हो गए हैं। ऐसे में दोनों लोगों को संयुक्त रूप से स्पष्ट करना चाहिए कि हिल्स गोरखालैंड होगा या स्विट्जरलैंड। गोविंद क्षेत्री ने पूर्व 10 मार्च 2010 में गोरामुमो प्रमुख सुभाष घीसिंग के पहाड़ छोड़ने के बाद परिषद में पड़े 120 करोड़ रुपए और 26 मई 2009 को चक्रवाती तूफान आइला के बाद मिली सहायता राशि के दुरुपयोग का आरोप लगाया और इन पैसों के जांच की मांग भी की। उन्होंने बताया कि 29 जून से क्रामाकपा हिल्स में अलग राज्य गोरखालैंड की मांग को लेकर आदोलन करेगा और इसमें गोरखा समुदाय के लोगों को जोड़ेगा।
Jagran
यह बातें रविवार को क्रांतिकारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता गोविंद क्षेत्री ने बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि इस बयानबाजी से जनता का भ्रम में स्वाभाविक है। पिछले दिनों गोजमुमो प्रमुख ने दावा किया कि हिल्स के विकास के लिए प्रयास हो रहा है, लेकिन इससे अलग राज्य का मुद्दा प्रभावित नहीं होगा। इस बीच प्रदेश की सरकार का कहना है कि हिल्स को स्विट्जरलैंड बनाया जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि इसके लिए उन्होंने अपनी कोई भी परिकल्पना अभी तक तैयार नहीं की है और न ही इस बाबत कोई घोषणा की है। उनका कहना है कि वह हिल्स को प्रदेश का महत्वपूर्ण अंग मानती हैं और इसके विकास के लिए तत्पर हैं, लेकिन हिल्स की हालत इसी से समझी जा सकती है कि यहां खुलेआम लोगों की हत्या हो रही है। कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। मुख्यमंत्री को कोलकाता जैसी कानून-व्यवस्था को यहां भी लागू कराना चाहिए ताकि बदमाशों के हौसले बुलंद नहीं हो और वह यहां वारदात करने से पूर्व सौ बार सोचें। हिल्स के प्रति मुख्यमंत्री का बयान उनकी नीयत में खोट को दर्शाता है। यही नहीं उनके द्वारा हिल्स को स्विट्जरलैंड बनाने और दूसरी ओर विमल के व्यवस्था को अंतिम रास्ता नहीं बताने से गोरखालैंड प्रेमी सशंकित हो गए हैं। ऐसे में दोनों लोगों को संयुक्त रूप से स्पष्ट करना चाहिए कि हिल्स गोरखालैंड होगा या स्विट्जरलैंड। गोविंद क्षेत्री ने पूर्व 10 मार्च 2010 में गोरामुमो प्रमुख सुभाष घीसिंग के पहाड़ छोड़ने के बाद परिषद में पड़े 120 करोड़ रुपए और 26 मई 2009 को चक्रवाती तूफान आइला के बाद मिली सहायता राशि के दुरुपयोग का आरोप लगाया और इन पैसों के जांच की मांग भी की। उन्होंने बताया कि 29 जून से क्रामाकपा हिल्स में अलग राज्य गोरखालैंड की मांग को लेकर आदोलन करेगा और इसमें गोरखा समुदाय के लोगों को जोड़ेगा।
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