KALIMPONG: अलग राज्य गोरखालैंड के लिए गोरखा राज्य निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष ने संगठन में विस्तार करना शुरू कर दिया है। इस बीच संगठन के केंद्रीय कमेटी में दो नए चेहरे शामिल किये गए हैं। इस बाबत पत्रकारों से बातचीत के दौरान अध्यक्ष दावा पाखरिन ने बताया कि दो नए चेहरों में कैल्पस आदिवासी जाति के कैलाश गोस्वामी व राजवासी जाति से चंपासारी निवासी ज्योति सिंह हैं। दोनों को केंद्रीय कमेटी में स्थान दिया गया है।
दावा पाखरिन ने बताया कि अलग राज्य के लिए ही सारी कवायद की जा रही है। इसके तहत संगठन को विस्तार दिया जा रहा है और प्रयास किया जा रहा है कि विभिन्न स्थानों को महकमा घोषित कराने व संगठन के अन्य लक्ष्यों को हासिल किया जा सके। इसके तहत कालिम्पोंग को जिला अलगड़ा, गोरुबथान को महकमा व डुवार्स को महकमा बनाने से लगायत कर्सियांग को जिला मिरिक, माटीगाड़ा, नक्सलबाड़ी महकमा बनाने तथा दार्जिलिंग में विभिन्न महकमा बनाने का कार्यक्रम संगठन ने तय किया है। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों की सीमा तय करने को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भी दिया जा चुका है। आगामी दिनों इसके लिए कार्यक्रम भी तय किया गया है और अलग राज्य के लिए सभी कार्य किये जा रहे हैं। संगठन का एकमात्र उद्देश्य अलग राज्य का गठन है और इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किया जाएगा। यह गोरखा समुदाय की पहचान के लिए जरूरी है और इसके बिना गोरखाओं को पहचान नहीं मिलेगी। इस आंदोलन में जो भी गोरखालैंड प्रेमी इस दल के साथ आना चाहता है, वह गोरानिमो के साथ आ सकता है। उन्होंने दावा किया कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अंदर मनमुटाव चल रहा है। इसका मुख्य कारण इस दल का अपने मुद्दे से भटकना है।
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दावा पाखरिन ने बताया कि अलग राज्य के लिए ही सारी कवायद की जा रही है। इसके तहत संगठन को विस्तार दिया जा रहा है और प्रयास किया जा रहा है कि विभिन्न स्थानों को महकमा घोषित कराने व संगठन के अन्य लक्ष्यों को हासिल किया जा सके। इसके तहत कालिम्पोंग को जिला अलगड़ा, गोरुबथान को महकमा व डुवार्स को महकमा बनाने से लगायत कर्सियांग को जिला मिरिक, माटीगाड़ा, नक्सलबाड़ी महकमा बनाने तथा दार्जिलिंग में विभिन्न महकमा बनाने का कार्यक्रम संगठन ने तय किया है। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों की सीमा तय करने को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भी दिया जा चुका है। आगामी दिनों इसके लिए कार्यक्रम भी तय किया गया है और अलग राज्य के लिए सभी कार्य किये जा रहे हैं। संगठन का एकमात्र उद्देश्य अलग राज्य का गठन है और इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किया जाएगा। यह गोरखा समुदाय की पहचान के लिए जरूरी है और इसके बिना गोरखाओं को पहचान नहीं मिलेगी। इस आंदोलन में जो भी गोरखालैंड प्रेमी इस दल के साथ आना चाहता है, वह गोरानिमो के साथ आ सकता है। उन्होंने दावा किया कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अंदर मनमुटाव चल रहा है। इसका मुख्य कारण इस दल का अपने मुद्दे से भटकना है।
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