DARJEELING : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के निर्णय के खिलाफ अखिल भारतीय गोरखालीग ने मोर्चा खोल दिया है। इस बाबत गोरखालीग की रविवार को केंद्रीय कार्यालय में बैठक और तय हुआ कि गोरखालैंड के नाम पर जनता को धोखा देने वाले इस दल के खिलाफ लोगों को एकजुट किया जाएगा।
इस बाबत पार्टी के महासचिव लक्ष्मण प्रधान ने बताया कि बैठक में पिछले दिनों हुई वार्ता को गोरखा समुदाय के विरोध वाला निर्णय बताया गया। यही नहीं इसके विरोध के लिए भी रणनीति पर चर्चा हुई। इस क्रम में सोमवार को प्रदेश सरकार और राज्यपाल के साथ पत्राचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने काले इतिहास को फिर दोहराया है। वर्ष 1980 से 1988 तक गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा ने अलग राज्य के लिए आंदोलन किया और इसके बाद सब ढाक के तीन पात हो गया। गोरामुमो प्रमुख सुभाष घीसिंग ने दार्जिलिंग गोरखा पार्वत्य परिषद पर समझौता कर लिया। यही कार्य गोजमुमो ने भी किया। पहले तो गोरखा समुदाय को अलग राज्य गोरखालैंड के प्रति एक किया और इसका परिणाम रहा कि इस दल के उम्मीदवारों को जनता ने भारी बहुमत से चुनाव में विजयी बनाया, लेकिन इस दल ने लोगों की भावना से खिलवाड़ किया। गोजमुमो ने दागोपाप पर समझौता कर लिया और लोगों से इस दल के नेता कहते फिर रहे हैं कि इस निर्णय से लोगों का विकास होगा। यह कहना गलत है, क्योंकि यह निर्णय पहाड़ के हित में हो सकता है, लेकिन इससे पहाड़ के लोगों या गोरखा समुदाय के हित की बात नहीं मानी जा सकती है। अब जनता सच जान गई है और तय है कि वह गोजमुमो के फरेब को भी जान गई होगी। ऐसे में तय है कि लोग इसका विरोध करेंगे। गोरखालीग ने तय किया है कि वह गोरखालैंड प्रेमियों को जोड़कर अलग राज्य के गठन के लिए लड़ाई तेज करेगी। इससे कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इसके लिए विपक्षी दलों को भी एक किया जाएगा। बैठक के दौरान गोरखालीग के नेता एमवी गुरुंग के निधन पर भी शोक व्यक्त किया।
इस बाबत पार्टी के महासचिव लक्ष्मण प्रधान ने बताया कि बैठक में पिछले दिनों हुई वार्ता को गोरखा समुदाय के विरोध वाला निर्णय बताया गया। यही नहीं इसके विरोध के लिए भी रणनीति पर चर्चा हुई। इस क्रम में सोमवार को प्रदेश सरकार और राज्यपाल के साथ पत्राचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने काले इतिहास को फिर दोहराया है। वर्ष 1980 से 1988 तक गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा ने अलग राज्य के लिए आंदोलन किया और इसके बाद सब ढाक के तीन पात हो गया। गोरामुमो प्रमुख सुभाष घीसिंग ने दार्जिलिंग गोरखा पार्वत्य परिषद पर समझौता कर लिया। यही कार्य गोजमुमो ने भी किया। पहले तो गोरखा समुदाय को अलग राज्य गोरखालैंड के प्रति एक किया और इसका परिणाम रहा कि इस दल के उम्मीदवारों को जनता ने भारी बहुमत से चुनाव में विजयी बनाया, लेकिन इस दल ने लोगों की भावना से खिलवाड़ किया। गोजमुमो ने दागोपाप पर समझौता कर लिया और लोगों से इस दल के नेता कहते फिर रहे हैं कि इस निर्णय से लोगों का विकास होगा। यह कहना गलत है, क्योंकि यह निर्णय पहाड़ के हित में हो सकता है, लेकिन इससे पहाड़ के लोगों या गोरखा समुदाय के हित की बात नहीं मानी जा सकती है। अब जनता सच जान गई है और तय है कि वह गोजमुमो के फरेब को भी जान गई होगी। ऐसे में तय है कि लोग इसका विरोध करेंगे। गोरखालीग ने तय किया है कि वह गोरखालैंड प्रेमियों को जोड़कर अलग राज्य के गठन के लिए लड़ाई तेज करेगी। इससे कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इसके लिए विपक्षी दलों को भी एक किया जाएगा। बैठक के दौरान गोरखालीग के नेता एमवी गुरुंग के निधन पर भी शोक व्यक्त किया।
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