MIRIK : क्षेत्र में पर्यटन में विकास के लिहाज से कई योजनाएं बनी थी, लेकिन अब तक इनका क्रियान्वयन नहीं हो पाया। सैलानियों की आमद बढ़ाने के लिए यहां रोप-वे प्रस्तावित किया गया था, लेकिन मामला सिफर रह गया। इस बीच गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने इसके लिए पहल की है। नेताओं ने दार्जिलिंग, कालिम्पोंग व मिरिक के लिए रोप-वे का प्रस्ताव बनाकर केंद्र को भेजा है। इसमें अधूरे पड़े कार्यो को पूरा करने का जिक्र है और बताया गया कि रोप-वे चालू कराने से पर्यटन व्यवसाय बढ़ेगा।
गौरतलब है कि 10 वर्ष पूर्व दार्जिलिंग गोरखा पार्वत्य परिषद ने मिरिक में रोप-वे के लिए स्थान निर्धारित किया था। इसके लिए फंड भी तय किया गया, लेकिन गोरामुमो सुभाष घीसिंग ने दौरा नहीं किया और अधिकारी भी प्रस्ताव बनाकर इसे भूल गए। इसका परिणाम रहा कि यह योजना ठंडे बस्ते में रह गई और अभी तक इसका निर्माण नहीं हो पाया। इस बीच गोजमुमो के प्रयास से पर्यटन व्यवसायियों के चेहरे पर खुशी साफ दिखाई दे रही है। लोगों का कहना है कि रोप-वे चालू होने से पर्यटकों की आमद तो बढ़ेगी ही शिथिल पड़ा व्यवसाय भी जोर पकड़ लेगा। इस समय यहां पर्यटन का एक ही केंद्र यहां की प्रसिद्ध झील है और यह भी बदहाली की कगार पर है। हालांकि कुछ संस्था और जागरुकता से कुछ स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन गंदगी बढ़ने से हालत कभी-कभी खराब हो जाती है। झील में प्रतिदिन कई पर्यटक आते हैं और बोटिंग का आनंद लेते हैं। इसके कारण स्थानीय लोगों का व्यापार चलता है। ऐसे में रोप-वे को लेकर प्रस्ताव भेजे जाने से आशा जगी है।
Courtesy: Jagran
गौरतलब है कि 10 वर्ष पूर्व दार्जिलिंग गोरखा पार्वत्य परिषद ने मिरिक में रोप-वे के लिए स्थान निर्धारित किया था। इसके लिए फंड भी तय किया गया, लेकिन गोरामुमो सुभाष घीसिंग ने दौरा नहीं किया और अधिकारी भी प्रस्ताव बनाकर इसे भूल गए। इसका परिणाम रहा कि यह योजना ठंडे बस्ते में रह गई और अभी तक इसका निर्माण नहीं हो पाया। इस बीच गोजमुमो के प्रयास से पर्यटन व्यवसायियों के चेहरे पर खुशी साफ दिखाई दे रही है। लोगों का कहना है कि रोप-वे चालू होने से पर्यटकों की आमद तो बढ़ेगी ही शिथिल पड़ा व्यवसाय भी जोर पकड़ लेगा। इस समय यहां पर्यटन का एक ही केंद्र यहां की प्रसिद्ध झील है और यह भी बदहाली की कगार पर है। हालांकि कुछ संस्था और जागरुकता से कुछ स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन गंदगी बढ़ने से हालत कभी-कभी खराब हो जाती है। झील में प्रतिदिन कई पर्यटक आते हैं और बोटिंग का आनंद लेते हैं। इसके कारण स्थानीय लोगों का व्यापार चलता है। ऐसे में रोप-वे को लेकर प्रस्ताव भेजे जाने से आशा जगी है।
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