DARJEELING, जागरण प्रतिनिधि : नई व्यवस्था गोरखालैंड टेरीटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन में तराई-डुवार्स क्षेत्र के कतिपय क्षेत्रों को शामिल करने के लिए हाईपावर कमेटी का गठन अगस्त माह में होगा। यह जानकारी गोजमुमो के केंद्रीय प्रवक्ता व विधायक डा. हर्क बहादुर क्षेत्री ने विशेष बातचीत में दी। उन्होंने बताया कि गोरखालैंड टेरीटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन में तराई-डुवार्स क्षेत्र के गोरखा बहुदलीय क्षेत्र को शामिल कराने के लिए गोजमुमो व सरकार के बीच जो समझौता हुआ है उसके तहत ही अगस्त माह के भीतर ही हाई पावर कमेटी गठित किए जाने की संभावना जताई है। उक्त हाईपावर कमेंटी में गोजमुमो प्रतिनिधियों के साथ ही राज्य व केंद्र सरकार की प्रतिनिधि शामिल होंगे। गोजमुमो पिछले चार साल से अलग गोरखालैंड राज्य के गठन के लिए आंदोलन कर रहा था परन्तु गोरखालैंड की मांग के लिए चलाए गए आंदोलन को शांत नहीं कर पाए थे। परन्तु विधानसभा चुनाव के बाद राज्य गठित ममता बनर्जी की सरकार ने दार्जिलिंग हिल्स को स्विट्जरलैंड बनाने की घोषणा करते हुए दार्जिलिंग हिल्स को गोरखालैंड टेरोटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन रूपी व्यवस्था दी है। जिसमें तराई-डुवार्स क्षेत्र के गोरखा बाहुल्य क्षेत्र को भी शामिल करने के लिए हाईपावर कमेटी का गठन करने के लिए गोजमुमो व सरकार के बीच पिछले दिन समझौता हुआ है। तराई-डुवार्स क्षेत्र के गोरखालैंड समर्थित लोगों ने उक्त हाईपावर का गठन होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उधर इन्हीं बातों को लेकर आदिवासी विकास परिषद ने जोरशोर से विरोध कर रहा है। इन्हीं बातों को लेकर शनिवार को आदिवासी विकास परिषद के प्रतिनिधियों ने राज्य के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भेंट कर चुका है। अब देखना यह है कि प्रस्तावित गोरखालैंड टेरीटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन में तराई एवं डुवार्स क्षेत्र के गोरखा बहुदलीय क्षेत्र को शामिल कराने में गोजमुमो कितना सफल होता है। वैसे गोजमुमो पूर्व में हुई गलतियों को दुबारा न होने देने का वादा किया है।
ज्ञात हो कि वर्ष 1986 के गोरखालैंड आंदोलन के दौरान भी तराई-डुवार्स क्षेत्र के गोरखा व अन्य जाति के लोगों ने गोरखालैंड मांग को लेकर चल रहे आंदोलन का साथ दिया था परन्तु जब 23 अगस्त को दागोपाप का गठन हुआ था तो तराई-डुवार्स क्षेत्र को भूल गए थे। करीब 23 वर्ष तक डुवार्स क्षेत्र में विकास का नामोंनिशां नहीं था। आज भी डुवार्स क्षेत्र के लोग विकास के लिए तड़प रहे हैं।
ज्ञात हो कि वर्ष 1986 के गोरखालैंड आंदोलन के दौरान भी तराई-डुवार्स क्षेत्र के गोरखा व अन्य जाति के लोगों ने गोरखालैंड मांग को लेकर चल रहे आंदोलन का साथ दिया था परन्तु जब 23 अगस्त को दागोपाप का गठन हुआ था तो तराई-डुवार्स क्षेत्र को भूल गए थे। करीब 23 वर्ष तक डुवार्स क्षेत्र में विकास का नामोंनिशां नहीं था। आज भी डुवार्स क्षेत्र के लोग विकास के लिए तड़प रहे हैं।
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