DARJEELING,JULY 13 : अखिल भारतीय गोरखालीग के महासचिव लक्ष्मण प्रधान ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गोरखालीग के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से मिलने में कतरा रही हैं। यह काफी दुखद है और उनके इस रवैये से पार्टी का नई सरकार के उपर से विश्वास उठने लगा है। उन्हें यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र में मुख्यमंत्री किसी एक दल का नेता न होकर पूरे प्रदेश का नेतृत्व करता है और इसका उनको पालन करना चाहिए।
बुधवार को बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि गोरखालीग ने ममता बनर्जी से मिलने के लिए कई बार पत्राचार किया, लेकिन इसका कोई जवाब नहीं दिया गया। इससे स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री गोरखा समुदाय से जुड़े अन्य दलों पर ध्यान देना नहीं चाहती हैं। इस सरकार में अब लोगों की आवाज को दबाया जाना शुरू हो गया है और आने वाले दिनों यह सिलसिला और तेज हो जाएगा। यह पहाड़ के लोगों के लिए आने वाले दिनों में बुरे संकेत हैं। लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति या अन्य राजनीतिक दल को मुख्यमंत्री से वार्ता करने का अधिकार होता है। ऐसे में मुख्यमंत्री का भी कर्तव्य है कि वह लोगों की परवाह करे, लेकिन इस सरकार में अब यह संभव नहीं दिखाई दे रहा है। यह सरकार गोरखाओं व पहाड़ के विकास की बात करती है, लेकिन इसने यहां के लोगों को कुछ नहीं दिया। दार्जिलिंग गोरखा पार्वत्य परिषद को नई व्यवस्था का नाम दिया गया। यह वही दागोपाप है, जिसमें जनता और क्षेत्र के विकास के लिए काफी धन आया था, लेकिन विकास के बजाय इसमें लूट-खसोट हुई। आने वाले दिनों में भी यही होने वाला है। उन्होंने गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा और पूर्व दागोपाप प्रमुख सुभाष घीसिंग पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने जनता के लिए आए पैसे का जमकर दुरुपयोग किया। लक्ष्मण प्रधान ने कहा कि मुख्यमंत्री की 18 को हिल्स में आने की संभावना है, लेकिन इस दौरान गोरखालीग का कोई भी नेता उनसे मुलाकात नहीं करेगा।
-जागरण
बुधवार को बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि गोरखालीग ने ममता बनर्जी से मिलने के लिए कई बार पत्राचार किया, लेकिन इसका कोई जवाब नहीं दिया गया। इससे स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री गोरखा समुदाय से जुड़े अन्य दलों पर ध्यान देना नहीं चाहती हैं। इस सरकार में अब लोगों की आवाज को दबाया जाना शुरू हो गया है और आने वाले दिनों यह सिलसिला और तेज हो जाएगा। यह पहाड़ के लोगों के लिए आने वाले दिनों में बुरे संकेत हैं। लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति या अन्य राजनीतिक दल को मुख्यमंत्री से वार्ता करने का अधिकार होता है। ऐसे में मुख्यमंत्री का भी कर्तव्य है कि वह लोगों की परवाह करे, लेकिन इस सरकार में अब यह संभव नहीं दिखाई दे रहा है। यह सरकार गोरखाओं व पहाड़ के विकास की बात करती है, लेकिन इसने यहां के लोगों को कुछ नहीं दिया। दार्जिलिंग गोरखा पार्वत्य परिषद को नई व्यवस्था का नाम दिया गया। यह वही दागोपाप है, जिसमें जनता और क्षेत्र के विकास के लिए काफी धन आया था, लेकिन विकास के बजाय इसमें लूट-खसोट हुई। आने वाले दिनों में भी यही होने वाला है। उन्होंने गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा और पूर्व दागोपाप प्रमुख सुभाष घीसिंग पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने जनता के लिए आए पैसे का जमकर दुरुपयोग किया। लक्ष्मण प्रधान ने कहा कि मुख्यमंत्री की 18 को हिल्स में आने की संभावना है, लेकिन इस दौरान गोरखालीग का कोई भी नेता उनसे मुलाकात नहीं करेगा।
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