Darjeeling, : अखिल भारतीय गोरखालीग का प्रतिनिधि मंडल शीघ्र ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलेगा। इस दौरान उनसे गोरखालीग के पूर्व अध्यक्ष मदन तमांग की हत्या की जांच में लापरवाही बरतने और इस हत्याकांड में शामिल आरोपियों को पकड़ने में तेजी लाने के अलावा विभिन्न पहलुओं पर बातचीत की जाएगी।
यह जानकारी सोमवार को गोरखालीग के केंद्रीय महासचिव लक्ष्मण प्रधान ने बातचीत के दौरान दी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री से मिलने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है और शीघ्र ही वार्ता की तिथि निर्धारित हो जाएगी। प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व गोरखालीग की अध्यक्ष भारती तमांग करेंगी। उन्होंने कहा कि मदन तमांग की हत्या की साजिश और इसे अंजाम दिलाने वाले लोग काफी खतरनाक हैं और इससे पहाड़ के लोगों को काफी खतरा है। ऐसे में मास्टर माइंड को पकड़ने में लगातार कोताही बरती जा रही है। यही वजह है कि हिल्स में कानून नाम की कोई चीज नहीं है और लोगों को आए दिन जान से मारने की धमकी मिलना, उन्हें मारना-पीटना आदि सामान्य बात हो गई है। पुलिस भी आंखें बंद किए हुए है और यही हालत रही तो आने वाले दिन यहां के लोगों के लिए नुकसानदायक साबित होंगे। यहां आम लोग डर का जीवन बिता रहे हैं और राजनीति नहीं कर पाते हैं। इसकी शिकायत भी मुख्यमंत्री से की जाएगी। उन्होंने कहा कि हिल्स की समस्या का निदान सिर्फ अलग राज्य गोरखालैंड के गठन से ही नहीं हो पाएगा, इसके लिए जरूरी है कि यहां के लोगों को रोजगार और मूलभूत सुविधाएं दी जाएं। यही नहीं यहां कानून-व्यवस्था को भी सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। हालांकि यह भी साफ है कि गोरखालैंड के अलावा किसी भी चीज पर समझौता नहीं किया जाएगा और अंतरिम सेटअप या नए काउंसिल से विकास की संभावना नहीं रह जाएगी। उन्होंने साफ किया कि आने वाले दिनों में गोरखालैंड को लेकर गोरखालीग का चल रहा आंदोलन जारी रहेगा और इसे जनता के सहयोग-सहभागिता से चलाया जाएगा। गोरखाओं की पहचान के लिए गोरखालैंड का गठन होना अत्यंत आवश्यक है और इस पर मुख्यमंत्री को ध्यान देना चाहिए।
यह जानकारी सोमवार को गोरखालीग के केंद्रीय महासचिव लक्ष्मण प्रधान ने बातचीत के दौरान दी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री से मिलने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है और शीघ्र ही वार्ता की तिथि निर्धारित हो जाएगी। प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व गोरखालीग की अध्यक्ष भारती तमांग करेंगी। उन्होंने कहा कि मदन तमांग की हत्या की साजिश और इसे अंजाम दिलाने वाले लोग काफी खतरनाक हैं और इससे पहाड़ के लोगों को काफी खतरा है। ऐसे में मास्टर माइंड को पकड़ने में लगातार कोताही बरती जा रही है। यही वजह है कि हिल्स में कानून नाम की कोई चीज नहीं है और लोगों को आए दिन जान से मारने की धमकी मिलना, उन्हें मारना-पीटना आदि सामान्य बात हो गई है। पुलिस भी आंखें बंद किए हुए है और यही हालत रही तो आने वाले दिन यहां के लोगों के लिए नुकसानदायक साबित होंगे। यहां आम लोग डर का जीवन बिता रहे हैं और राजनीति नहीं कर पाते हैं। इसकी शिकायत भी मुख्यमंत्री से की जाएगी। उन्होंने कहा कि हिल्स की समस्या का निदान सिर्फ अलग राज्य गोरखालैंड के गठन से ही नहीं हो पाएगा, इसके लिए जरूरी है कि यहां के लोगों को रोजगार और मूलभूत सुविधाएं दी जाएं। यही नहीं यहां कानून-व्यवस्था को भी सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। हालांकि यह भी साफ है कि गोरखालैंड के अलावा किसी भी चीज पर समझौता नहीं किया जाएगा और अंतरिम सेटअप या नए काउंसिल से विकास की संभावना नहीं रह जाएगी। उन्होंने साफ किया कि आने वाले दिनों में गोरखालैंड को लेकर गोरखालीग का चल रहा आंदोलन जारी रहेगा और इसे जनता के सहयोग-सहभागिता से चलाया जाएगा। गोरखाओं की पहचान के लिए गोरखालैंड का गठन होना अत्यंत आवश्यक है और इस पर मुख्यमंत्री को ध्यान देना चाहिए।
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