Kurseong : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व गोरखा जनमुक्ति मोर्चा प्रमुख विमल गुरुंग के बीच सोमवार को कोलकाता सचिवालय में सरकारी स्तर की बैठक होने को लेकर पहाड़ में कयासों का दौर नहीं रुक रहा है। इसको लेकर लोग कई उम्मीद लगाकर बैठे हैं और उन्हें विश्वास है कि यह बैठक काफी अहम साबित होगी। बैठक को लेकर गोजमुमो समर्थक व गोरखालैंड प्रेमी काफी उत्साहित हैं।
इस बाबत युवा मोर्चा कर्सियांग महकमा कमेटी के प्रचार-प्रसार सचिव सुभाष प्रधान ने कहा कि सूबे की नई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरुंग को पहाड़ का एक मात्र नेता समझकर कोलकाता आने के लिए निमंत्रण दिया है। इसलिए वे निमंत्रण को स्वीकार बैठक में शामिल होने गए हैं। उन्होंने बताया कि मानवता के नाते श्री गुरुंग वहां गए हैं। माकपा व गोरामुमो द्वारा दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र में फैलाई गई हिंसा से मुख्यमंत्री अनभिज्ञ हैं। बैठक के दौरान विमल गुरुंग इन मुद्दों पर उनसे चर्चा कर सकते हैं और कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए जा सकते हैं। वह ममता बनर्जी को समूचे हिल्स की मूलभूत समस्याओं से अवगत कराएंगे और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। मुख्यमंत्री भी यहां की समस्याओं के बारे में जानती हैं। माकपा व गोरामुमो द्वारा पहाड़ी क्षेत्र में फैलाये गए सत्रांस के बारे में भी वे अवगत हैं। यह जरूरी नहीं है कि पहली ही मुलाकात में क्षेत्र के विकास व गोरखालैंड के बारे में चर्चा की जाए। ऐसे में ज्यादा उम्मीदें पालना ठीक नहीं है। श्री प्रधान ने कहा कि क्रामाकपा केंद्रीय कमेटी के अध्यक्ष आरबी राई सहित विरोधी पार्टी के नेताओं द्वारा गोजमुमो के बारे में कई बयानबाजी की जा रही है और पार्टी को लेकर लोगों के बीच दुष्प्रचार किया जा रहा है। उन्होंने साफ किया कि गोजमुमो अंतरिम प्राधिकरण को लेकर कभी राजी नहीं होगा। ऐसी बातें करने से पहले इन नेताओं को अपनी छवि की चिंता करनी चाहिए। गोजमुमो को यह साबित करने की जरूरत नहीं है कि उसने गोरखालैंड आंदोलन और गोरखा समुदाय के लिए अब तक कितनी भूमिका निभाई है। ऐसे में विरोधी दल को अपनी पार्टी के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य में राष्ट्र व राज्य की अवस्था को ध्यान में रखकर गोरखालैंड की आवाज को बुलंद किया जाएगा व आंदोलन को आगे की ओर बढ़ाया जाएगा। सूबे के पूर्व नगर विकास मंत्री अशोक भट्टाचार्य के बयान पर बोले कि वह जब मंत्री पद पर थे, उस समय उन्होंने क्षेत्र के विकास के बारे में नहीं सोचा। अब मंत्री पद से हटने और चुनाव हारने के बाद क्षेत्र के विकास के बारे में बात करने लगे हैं। अलग राज्य गोरखालैंड के पक्ष में भी बयान देने लगे हैं। यह हमारे लिए गर्व की बात है। गोजमुमो का एक ही लक्ष्य अलग राज्य गोरखालैंड प्राप्त करना है। कार्यकर्ता लक्ष्य प्राप्ति के अंतिम मुकाम तक पहुंचने में एक दिन अवश्य कामयाबी हासिल करेंगे।
इस बाबत युवा मोर्चा कर्सियांग महकमा कमेटी के प्रचार-प्रसार सचिव सुभाष प्रधान ने कहा कि सूबे की नई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरुंग को पहाड़ का एक मात्र नेता समझकर कोलकाता आने के लिए निमंत्रण दिया है। इसलिए वे निमंत्रण को स्वीकार बैठक में शामिल होने गए हैं। उन्होंने बताया कि मानवता के नाते श्री गुरुंग वहां गए हैं। माकपा व गोरामुमो द्वारा दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र में फैलाई गई हिंसा से मुख्यमंत्री अनभिज्ञ हैं। बैठक के दौरान विमल गुरुंग इन मुद्दों पर उनसे चर्चा कर सकते हैं और कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए जा सकते हैं। वह ममता बनर्जी को समूचे हिल्स की मूलभूत समस्याओं से अवगत कराएंगे और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। मुख्यमंत्री भी यहां की समस्याओं के बारे में जानती हैं। माकपा व गोरामुमो द्वारा पहाड़ी क्षेत्र में फैलाये गए सत्रांस के बारे में भी वे अवगत हैं। यह जरूरी नहीं है कि पहली ही मुलाकात में क्षेत्र के विकास व गोरखालैंड के बारे में चर्चा की जाए। ऐसे में ज्यादा उम्मीदें पालना ठीक नहीं है। श्री प्रधान ने कहा कि क्रामाकपा केंद्रीय कमेटी के अध्यक्ष आरबी राई सहित विरोधी पार्टी के नेताओं द्वारा गोजमुमो के बारे में कई बयानबाजी की जा रही है और पार्टी को लेकर लोगों के बीच दुष्प्रचार किया जा रहा है। उन्होंने साफ किया कि गोजमुमो अंतरिम प्राधिकरण को लेकर कभी राजी नहीं होगा। ऐसी बातें करने से पहले इन नेताओं को अपनी छवि की चिंता करनी चाहिए। गोजमुमो को यह साबित करने की जरूरत नहीं है कि उसने गोरखालैंड आंदोलन और गोरखा समुदाय के लिए अब तक कितनी भूमिका निभाई है। ऐसे में विरोधी दल को अपनी पार्टी के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य में राष्ट्र व राज्य की अवस्था को ध्यान में रखकर गोरखालैंड की आवाज को बुलंद किया जाएगा व आंदोलन को आगे की ओर बढ़ाया जाएगा। सूबे के पूर्व नगर विकास मंत्री अशोक भट्टाचार्य के बयान पर बोले कि वह जब मंत्री पद पर थे, उस समय उन्होंने क्षेत्र के विकास के बारे में नहीं सोचा। अब मंत्री पद से हटने और चुनाव हारने के बाद क्षेत्र के विकास के बारे में बात करने लगे हैं। अलग राज्य गोरखालैंड के पक्ष में भी बयान देने लगे हैं। यह हमारे लिए गर्व की बात है। गोजमुमो का एक ही लक्ष्य अलग राज्य गोरखालैंड प्राप्त करना है। कार्यकर्ता लक्ष्य प्राप्ति के अंतिम मुकाम तक पहुंचने में एक दिन अवश्य कामयाबी हासिल करेंगे।
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