DARJEELING : क्रांतिकारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष आरबी राई ने कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने नई व्यवस्था को लेकर लोगों को अंधेरे में रखे हुए है। मोर्चा को आम जनता के बीच जाकर नई व्यवस्था की जानकारी उन्हें देनी चाहिए ताकि उनके अंदर का भ्रम दूर हो सके। कई मुद्दों को अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है और ऐसा तब है जब नए मसौदे पर हस्ताक्षर होने में कुछ दिन ही बचे हैं।
रविवार को बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा और राज्य सरकार के बीच जो खिचड़ी पक रही है, उसे पहाड़ की आम जनता जानना चाहती है, लेकिन सिर्फ विकास की बातें की जा रही हैं और लोगों को बरगलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जनता जानना चाहती है कि उसे क्या मिलने वाला है और इतना महत्वपूर्ण आंदोलन रोककर मोर्चा आने वाले दिनों पहाड़ का कितना विकास करेगा। इस विषय पर नेताओं को अपना रुख स्पष्ट करने की आवश्यकता है। उन्होंने मोर्चा नेताओं पर महत्वपूर्ण तथ्य छुपाने का भी आरोप लगाया और कहा कि नई व्यवस्था में तराई-डुवार्स को शामिल कराने के लिए जो बातें कही गई हैं, उनका खुलासा किये बगैर सिर्फ बड़ी बातें की जा रही हैं और मोर्चा की ओर से तैयार इस मसौदे को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। तराई-डुवार्स गोरखा बाहुल्य क्षेत्र है और यहां के गोरखाओं को भी विश्वास में लेकर उन्हें नई व्यवस्था के होने वाले निर्णय की जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि गोजमुमो अपने नारे और लक्ष्य से भटक गया है। शुरू से ही इस दल ने गोरखालैंड का नारा दिया था और तृणमूल की सरकार आते ही इस दल के नेताओं ने अपना रंग दिखा दिया। उन्हें आंदोलन के नाम पर शहीद हुए कार्यकर्ताओं और अपने वादों को याद करने की आवश्यकता है। नई व्यवस्था से भले ही पहाड़ का विकास हो, लेकिन देश के विभिन्न स्थानों पर रह रहे गोरखाओं की पहचान का संकट बना रहेगा। इस मुद्दे से पीछे नहीं हटना चाहिए।
रविवार को बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा और राज्य सरकार के बीच जो खिचड़ी पक रही है, उसे पहाड़ की आम जनता जानना चाहती है, लेकिन सिर्फ विकास की बातें की जा रही हैं और लोगों को बरगलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जनता जानना चाहती है कि उसे क्या मिलने वाला है और इतना महत्वपूर्ण आंदोलन रोककर मोर्चा आने वाले दिनों पहाड़ का कितना विकास करेगा। इस विषय पर नेताओं को अपना रुख स्पष्ट करने की आवश्यकता है। उन्होंने मोर्चा नेताओं पर महत्वपूर्ण तथ्य छुपाने का भी आरोप लगाया और कहा कि नई व्यवस्था में तराई-डुवार्स को शामिल कराने के लिए जो बातें कही गई हैं, उनका खुलासा किये बगैर सिर्फ बड़ी बातें की जा रही हैं और मोर्चा की ओर से तैयार इस मसौदे को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। तराई-डुवार्स गोरखा बाहुल्य क्षेत्र है और यहां के गोरखाओं को भी विश्वास में लेकर उन्हें नई व्यवस्था के होने वाले निर्णय की जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि गोजमुमो अपने नारे और लक्ष्य से भटक गया है। शुरू से ही इस दल ने गोरखालैंड का नारा दिया था और तृणमूल की सरकार आते ही इस दल के नेताओं ने अपना रंग दिखा दिया। उन्हें आंदोलन के नाम पर शहीद हुए कार्यकर्ताओं और अपने वादों को याद करने की आवश्यकता है। नई व्यवस्था से भले ही पहाड़ का विकास हो, लेकिन देश के विभिन्न स्थानों पर रह रहे गोरखाओं की पहचान का संकट बना रहेगा। इस मुद्दे से पीछे नहीं हटना चाहिए।
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