Darjeeling 30 april, जागरण प्रतिनिधि : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता डॉ. हर्क बहादुर क्षेत्री ने कहा कि गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के प्रमुख सुभाष घीसिंग को राजनीति करने से पहले देश के संविधान के बारे में जानकारी होनी चाहिए। जिस छठी अनुसूची की वह बात कर रहे हैं, उसे जनता ने पूर्व में ही अस्वीकार कर दिया है। देश के संविधान की धारा 19 एक में साफ लिखा है कि लोकसभा भंग होने के बाद संसद में पड़े जो प्रस्ताव जनता खारिज कर चुकी होती है, वह स्वयं खारिज हो जाता है।
शुक्रवार को 'दैनिक जागरण' से बातचीत के दौरान डॉ. हर्क बहादुर क्षेत्री ने कहा कि इतनी बात जिस नेता को नहीं पता होगा वह जनता का क्या भला करेगा। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व त्रिपक्षीय वार्ता के दौरान केंद्रीय गृह सचिव जेके पिल्लई ने साफ किया था कि छठी अनुसूची का प्रस्ताव खारिज हो चुका है। ऐसे में यह बात साफ हो चुकी है कि छठी अनुसूची का बिल कूड़ेदान में जा चुका है और इस मुद्दे पर ज्यादा बात करना बेकार है। ऐसे में वह गोरामुमो प्रमुख कह रहे हैं कि वह इस विषय पर राजनीतिक दबाव बनाने के लिए दिल्ली में नेताओं से मिलेंगे और यह भी कहा कि नए काउंसिल का गठन करेंगे। इससे पहाड़ की जनता को कोई लेना-देना नहीं है। इससे कुछ होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि गोरामुमो प्रमुख जैसी बयानबाजी कर रहे हैं, वह लोगों को बहकाने वाली है। उन्होंने कहा कि गोजमुमो का गठन सिर्फ अलग राज्य गोरखालैंड के गठन के लिए हुआ है और इसके लिए हर आंदोलन किया जाएगा। गोरखालैंड गोरखाओं की अस्मिता से जुड़ा मामला है और इसे लेकर ही गोरखा समुदाय दम लेगा। चुनाव परिणाम सौ फीसदी गोजमुमो के पक्ष में आएंगे और इसके बाद गोरखालैंड विधानसभा में गूंजेगा। विधानसभा में इसे प्रस्ताव बनाकर पारित कराने और अलग राज्य के गठन के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में पिछले दिनों हुए सिब्चू गोलीकांड की सीबीआइ जांच के लिए चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा।
शुक्रवार को 'दैनिक जागरण' से बातचीत के दौरान डॉ. हर्क बहादुर क्षेत्री ने कहा कि इतनी बात जिस नेता को नहीं पता होगा वह जनता का क्या भला करेगा। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व त्रिपक्षीय वार्ता के दौरान केंद्रीय गृह सचिव जेके पिल्लई ने साफ किया था कि छठी अनुसूची का प्रस्ताव खारिज हो चुका है। ऐसे में यह बात साफ हो चुकी है कि छठी अनुसूची का बिल कूड़ेदान में जा चुका है और इस मुद्दे पर ज्यादा बात करना बेकार है। ऐसे में वह गोरामुमो प्रमुख कह रहे हैं कि वह इस विषय पर राजनीतिक दबाव बनाने के लिए दिल्ली में नेताओं से मिलेंगे और यह भी कहा कि नए काउंसिल का गठन करेंगे। इससे पहाड़ की जनता को कोई लेना-देना नहीं है। इससे कुछ होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि गोरामुमो प्रमुख जैसी बयानबाजी कर रहे हैं, वह लोगों को बहकाने वाली है। उन्होंने कहा कि गोजमुमो का गठन सिर्फ अलग राज्य गोरखालैंड के गठन के लिए हुआ है और इसके लिए हर आंदोलन किया जाएगा। गोरखालैंड गोरखाओं की अस्मिता से जुड़ा मामला है और इसे लेकर ही गोरखा समुदाय दम लेगा। चुनाव परिणाम सौ फीसदी गोजमुमो के पक्ष में आएंगे और इसके बाद गोरखालैंड विधानसभा में गूंजेगा। विधानसभा में इसे प्रस्ताव बनाकर पारित कराने और अलग राज्य के गठन के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में पिछले दिनों हुए सिब्चू गोलीकांड की सीबीआइ जांच के लिए चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा।
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