अलग राज्य का गठन मुश्किल : डीके गुरुङ

Darjeeling,Mirik,May 8:  अलग राज्य गोरखालैंड का गठन मुश्किल है। इसकी संभावना ही नहीं है। यही वजह है कि वर्ष 2005 में गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा प्रमुख सुभाष घीसिंग और केंद्र सरकार के बीच छठी अनुसूची पर हस्ताक्षर हुआ था। अब इसे नए काउंसिल के रूप में गठित कराना होगा ताकि पहाड़ की जनता का समुचित विकास हो सके और उन्हें पहचान मिल सके।
यह कहना है गोरामुमो मिलिंग क्षेत्र के प्रमुख डीके गुरुंग का। वह रविवार को यहां चाय बगान में सार्वजनिक भवन में सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभा चुनाव में गोरामुमो को जीत-हार का अफसोस नहीं है। राजनीतिक दल होने के कारण चुनाव में भाग लिया गया था और इसके बाद के परिणाम की चिंता पार्टी को नहीं है। इसके विपरीत कुछ दलों ने गोरखालैंड के नाम पर लोगों से वोट लिया है और यह दल गोरखालैंड के बहाने अपना हित साधने में लगे हुए हैं। इस मुद्दे पर सिर्फ यहां की जनता को भ्रमित करने की कोशिश की गई है और यह बात पहाड़ का समुदाय भलि-भांति जान गया है। उन्होंने कहा कि नया काउंसिल गोरखा समुदाय के हित में साबित होगा और इसके कई फायदे होंगे। इससे उन्हें पहचान मिलेगी और रोजगार सृजन का कार्य भी होगा। इसके गठन के लिए दिल्ली में राजनीतिक दबाव बनाया जाएगा और हर संभव प्रयास करके इसका गठन कराया जाएगा। सभा में निर्मल प्रधान, जीवन स्यादेन सहित अन्य लोगों ने विचार व्यक्त किया।
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