Kalimpong,May 9 : कोलकाता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जेएन पाटिल सोमवार को पहाड़ की विभिन्न समस्याओं से रूबरू हुए। जीएनएलएफ (सी) के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट कर्नल डीके प्रधान व सीपीआइ (एम) के जोनल सचिव तारा सुंदास ने उनका स्वागत किया और उन्हें एक मांग पत्र सौंपा। इसमें क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं को आधार बनाया गया और बताया गया कि दुर्गम क्षेत्रों में न्यायालय नहीं होने का कई लोगों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है और इस पर ध्यान देने की जरूरत है। व्यवस्था नहीं होने के कारण कई बार लोग न्यायालय नहीं आना चाहते और न्याय से वंचित रह जाते हैं।
दोनों नेताओं ने कहा कि कालिम्पोंग में न्यायालय है, लेकिन यहां दुर्गम क्षेत्रों से आने में आठ से दस घंटे लग जाते हैं। ऐसे में व्यक्ति सोचता है कि इतना दूर वह क्यों जाए। यही वजह है कि कई लोग चुपचाप अन्याय सह रहे हैं और न्यायालय तक उनकी बात नहीं जा पा रही है। ऐसे में जरूरी है कि दुर्गम क्षेत्रों में न्यायालय खोले जाएं ताकि कमजोर लोगों को न्याय मिल सके। उन्होंने बताया कि पूर्व में इन दुर्गम क्षेत्रों में कोर्ट खोले गए थे, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यह बंद हो गए। ऐसे में इन्हें दोबारा खोलने पर विचार किया जाना चाहिए, ताकि लोगों को सुविधा हो सके। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया और इस बाबत अन्य जिम्मेदार लोगों से बात के बाद निर्णय लेने की बात कही।
दोनों नेताओं ने कहा कि कालिम्पोंग में न्यायालय है, लेकिन यहां दुर्गम क्षेत्रों से आने में आठ से दस घंटे लग जाते हैं। ऐसे में व्यक्ति सोचता है कि इतना दूर वह क्यों जाए। यही वजह है कि कई लोग चुपचाप अन्याय सह रहे हैं और न्यायालय तक उनकी बात नहीं जा पा रही है। ऐसे में जरूरी है कि दुर्गम क्षेत्रों में न्यायालय खोले जाएं ताकि कमजोर लोगों को न्याय मिल सके। उन्होंने बताया कि पूर्व में इन दुर्गम क्षेत्रों में कोर्ट खोले गए थे, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यह बंद हो गए। ऐसे में इन्हें दोबारा खोलने पर विचार किया जाना चाहिए, ताकि लोगों को सुविधा हो सके। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया और इस बाबत अन्य जिम्मेदार लोगों से बात के बाद निर्णय लेने की बात कही।
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