गोजमुमो व गोरामुमो नेताओं की बयानबाजी से माहौल गर्म

Kurseong,May 7, निज संवाददाता : बीते 18 अप्रैल को हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम 13 मई को मतगणना के बाद घोषित होंगे। चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता लागू करने के कारण अभी दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र में शांति है, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र की स्थिति कैसी होगी, इसको लेकर जनता चिंतित है। इसका कारण वर्तमान में इस पहाड़ी क्षेत्र के राजनैतिक परिस्थिति से साफ झलकने लगा है। एक ओर वर्तमान में दार्जिलिंग पहाड़ में शक्तिशाली पार्टी के रूप में रहे गोजमुमो पार्टी अलग राज्य गोरखालैंड के लिए दृढ़ संकल्पित है तो दूसरी ओर दार्जिलिंग में 21 वर्ष शासन करने के बाद सत्ता से बाहर होने के बाद यहां से खदेड़े गए गोरामुमो सुप्रीमो सुभाष घीसिंग विधानसभा चुनाव के पूर्व दार्जिलिंग में छठी अनुसूची के मुद्दे को लेकर पुन: लौट आए हैं। गोरामुमो समर्थक इस पार्टी को सुदृढ़ बनाने व पार्टी अध्यक्ष सुभाष घीसिंग के हाथ को मजबूत बनाने के लिए प्रयासरत हैं। छठी अनुसूची को दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र में लागू कराने के लिए हर परिस्थिति से लड़ने को गोरामुमो समर्थक तैयार हैं। इधर, गोजमुमो भी अलग राज्य गोरखालैंड के लिए अंतिम मुकाम में पहुंचाने तक के लिए हर परिस्थितियों का सामना करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद गोरखालैंड बनाम छठी अनुसूची की मांग को लेकर दोनों पार्टियों की अपनी-अपनी रणनीति क्या होगी यह तो समय पर ही पता चलेगा, लेकिन इस को लेकर लोगों के मन में पहाड़ के अंदर शांति भंग होने की आशंका अभी से घर करने लगी है। गोजमुमो ने गोरामुमो सुप्रीमो घीसिंग को पुन: दार्जिलिंग पहाड़ से निर्वासित करने की हाल ही में कड़ी चेतावनी दी थी और गोरामुमो ने इसका जवाब दिया कि वह इस चेतावनी का सामना करने के लिए तैयार है। ऐसा गोरामुमो समर्थक बताते है।
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