DARJEELING, JAGARAN : हिल्स की सुंदरता को बनाए रखने के लिए सभी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। किसी भी मूलभूत सुविधा के विस्तार को लेकर प्रशासन ने कोई बड़ी योजना नहीं बनाई है। यही नहीं कई योजनाएं बनी भी तो उनका समय के साथ कोई अता-पता नहीं रहा। यही हालत यहां कूड़े-कचरे के निस्तारण को लेकर है। हिल्स में कूड़े के निस्तारण की कोई व्यवस्था ही नहीं है। कई को तो पता ही नहीं यह किस चिड़िया का नाम है। सीधे तौर पर कहें तो कूड़े निस्तारण के नाम पर हिल्स में कोई कार्य ऐसा नहीं हुआ जिसे देखकर लोगों को संतुष्टि हो। कितना वेस्ट निकलता और कहां इसका निस्तारण किया जाता है, इसका अधिकारियों को पता ही नहीं है। गाहे-बगाहे अधिकारी या कोई बड़ा नेता आता है तो आनन-फानन में कॉलर चौड़ा करने और श्रेय लेने के लिए युद्ध स्तर सफाई कराई जाती है।
हमारे दार्जिलिंग संवाददाता के अनुसार : यहां कूड़ा निस्तारण को लेकर अब तक कोई कारगर योजना नहीं तैयार की गई है। अधिकारी भले ही कागजी घोड़े दौड़ा रहे हों, लेकिन हकीकत कभी भी देखी जा सकती है। इस महकमा में कहीं भी और कभी भी कूड़े का अंबार देखा जा सकता है। इसके निस्तारण को लेकर भी लापरवाही का परिचय दिया जाता रहा है। बारिश होने के बाद तो हालत और भी नारकीय हो जाती है। कूड़े का अंबार लोगों के घरों में प्रवेश कर जाता है और इसे हटाने की जिम्मेदारी उनकी हो जाती है। इस बाबत सिर्फ कागजी कार्रवाई करके अधिकारी चैन से हैं और जनता इसका खामियाजा भुगतने को मजबूर है।
KURSEONG : इस नगरपालिका क्षेत्र में कूड़े के निस्तारण के लिए अभी तक कोई भी स्थायी व्यवस्था नहीं की गई है। स्थायी व्यवस्था करने के लिए कर्सियांग नगरपालिका प्रयासरत है। इस बाबत कर्सियांग नगरपालिका के सेनिटेरी इंस्पेक्टर रमेश सुब्बा ने बताया कि नगर पालिका क्षेत्र के कूड़े का निस्तारण सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के तहत करने के लिए विगत में सरकार ने ढ़ाड़ गांव के नजदीक सुन्तले पाखा मे एक जमीन उपलब्ध कराई थी। इस प्रोजेक्ट को तैयार करने हेतु भारत सरकार के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनओसी भी दी थी, लेकिन प्रोजेक्ट आरंभ करने से पूर्व ही ग्रामवासियों द्वारा आपत्ति जताने के फलस्वरूप यह प्रोजेक्ट नहीं हो पाया। कूड़े निस्तारण के स्थायी समाधान के लिए जमीन तलाशने का कार्य किया जा रहा है। यह कार्य होने पर सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। इसके साथ कूड़े निस्तारण का स्थायी समाधान का निष्पादन हो जाएगा। उनके अनुसार इस प्रोजेक्ट के जरिए कूड़े को सड़ाने, रि-साइकिलिंग करने, खाद तैयार करने आदि का कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए जमीन उपलब्ध होने के बाद में ही इसकी लागत खर्च का बजट तैयार किया जाएगा। प्रशासन चाहता है कि कूड़े का निस्तारण डंपिंग के जरिए नहीं बल्कि सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के जरिए हो।
KALIMPONG : यहां कूड़े के निस्तारण के लिए व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं है। क्षेत्र के एक डंपिंग ग्राउंड में पूर्व में कूड़े के लिए स्थान चयनित किया गया था, लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया तो मामला अटक गया। क्षेत्र से तकरीबन छह किलोमीटर दूर दलमाल गांव में कूड़े-कचरे के निस्तारण के लिए स्थान का चयन किया गया था और वहां अभी भी कार्य चल रहा है। आने वाले दिनों में माना जा रहा है कि यहां कार्य पूरा होने के बाद कूड़े-कचरे का निस्तारण आसान हो जाएगा, लेकिन हाल-फिलहाल कालिम्पोंग में विभिन्न स्थानों पर कूड़े-कचरे का अंबार लगा रहता है। इसे लोग झेलने को मजबूर हैं और इससे निजात के अपने रास्ते बनाने को मजबूर हैं।
हमारे दार्जिलिंग संवाददाता के अनुसार : यहां कूड़ा निस्तारण को लेकर अब तक कोई कारगर योजना नहीं तैयार की गई है। अधिकारी भले ही कागजी घोड़े दौड़ा रहे हों, लेकिन हकीकत कभी भी देखी जा सकती है। इस महकमा में कहीं भी और कभी भी कूड़े का अंबार देखा जा सकता है। इसके निस्तारण को लेकर भी लापरवाही का परिचय दिया जाता रहा है। बारिश होने के बाद तो हालत और भी नारकीय हो जाती है। कूड़े का अंबार लोगों के घरों में प्रवेश कर जाता है और इसे हटाने की जिम्मेदारी उनकी हो जाती है। इस बाबत सिर्फ कागजी कार्रवाई करके अधिकारी चैन से हैं और जनता इसका खामियाजा भुगतने को मजबूर है।
KURSEONG : इस नगरपालिका क्षेत्र में कूड़े के निस्तारण के लिए अभी तक कोई भी स्थायी व्यवस्था नहीं की गई है। स्थायी व्यवस्था करने के लिए कर्सियांग नगरपालिका प्रयासरत है। इस बाबत कर्सियांग नगरपालिका के सेनिटेरी इंस्पेक्टर रमेश सुब्बा ने बताया कि नगर पालिका क्षेत्र के कूड़े का निस्तारण सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के तहत करने के लिए विगत में सरकार ने ढ़ाड़ गांव के नजदीक सुन्तले पाखा मे एक जमीन उपलब्ध कराई थी। इस प्रोजेक्ट को तैयार करने हेतु भारत सरकार के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनओसी भी दी थी, लेकिन प्रोजेक्ट आरंभ करने से पूर्व ही ग्रामवासियों द्वारा आपत्ति जताने के फलस्वरूप यह प्रोजेक्ट नहीं हो पाया। कूड़े निस्तारण के स्थायी समाधान के लिए जमीन तलाशने का कार्य किया जा रहा है। यह कार्य होने पर सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। इसके साथ कूड़े निस्तारण का स्थायी समाधान का निष्पादन हो जाएगा। उनके अनुसार इस प्रोजेक्ट के जरिए कूड़े को सड़ाने, रि-साइकिलिंग करने, खाद तैयार करने आदि का कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए जमीन उपलब्ध होने के बाद में ही इसकी लागत खर्च का बजट तैयार किया जाएगा। प्रशासन चाहता है कि कूड़े का निस्तारण डंपिंग के जरिए नहीं बल्कि सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के जरिए हो।
KALIMPONG : यहां कूड़े के निस्तारण के लिए व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं है। क्षेत्र के एक डंपिंग ग्राउंड में पूर्व में कूड़े के लिए स्थान चयनित किया गया था, लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया तो मामला अटक गया। क्षेत्र से तकरीबन छह किलोमीटर दूर दलमाल गांव में कूड़े-कचरे के निस्तारण के लिए स्थान का चयन किया गया था और वहां अभी भी कार्य चल रहा है। आने वाले दिनों में माना जा रहा है कि यहां कार्य पूरा होने के बाद कूड़े-कचरे का निस्तारण आसान हो जाएगा, लेकिन हाल-फिलहाल कालिम्पोंग में विभिन्न स्थानों पर कूड़े-कचरे का अंबार लगा रहता है। इसे लोग झेलने को मजबूर हैं और इससे निजात के अपने रास्ते बनाने को मजबूर हैं।
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