Darjeeling, जागरण प्रतिनिधि : पहाड़ की नैसर्गिक सुंदरता को निहारने के लिए प्रतिवर्ष यहां हजारों पर्यटक आते हैं। इसको देखते हुए विदेशी सैलानियों को लुभाने के लिहाज से कई प्रयास किये गए। इसके तहत दार्जिलिंग के सिंगमारी में राज्य के वन विभाग की ओर से वर्ष 1968 में लोगों के घूमने के लिए और वादियों को देखने के लिए रोप-वे बनाया गया था।
सिंगमारी से शुरू होकर यह रोप-वे बंगाल और सिक्किम राज्य के सिमाना नया बाजार तक जाता था। इसका आनंद लेने के लिए प्रतिवर्ष यहां हजारों पर्यटक आते थे। उस समय माना जाता था कि यह रोप-वे एशिया का सबसे लंबा रोप-वे था। इस बीच वर्ष 1986 में तकनीकी दिक्कत के कारण लिम्बु बस्ती स्टेशन से सिंगला एवं नया बाजार स्टेशन की ओर जाने वाले रोप-वे को बंद कर दिया गया था। वर्ष 1998 में सीआरएस कंपनी और राज्य के वन विभाग ने इसका नवीनीकरण किया और सात से ज्यादा टोली के लिए इस रोप-वे का निर्माण हुआ। इसके कारण स्थानीय दुकानदारों की अच्छी कमाई होती थी। प्रतिदिन हजारों रुपए की कमाई करते थे। इस बीच 19 अक्टूबर 2003 को रोप-वे दुर्घटना हो गई। इसमें चार पर्यटकों की जान चली गई थी और 11 लोग घायल भी हुए थे। तब से यह रोप-वे बंद पड़ा हुआ है। इसके कारण आज भी यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। इसको चालू कराने की बात पर एक विभागीय अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि रोप-वे का शुरू कराने के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। इस बाबत एनओसी का इंतजार किया जा रहा है। संबंधित विभाग ने जिस दिन एनओसी जारी कर दिया, उसी दिन से रोप-वे चालू कराने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया जाएगा। रोप-वे बंद होने से पर्यटक भी निराश हैं। उनकी मौज-मस्ती नहीं हो पा रही है। इससे उन्हें काफी रोमांच मिलता था और इसके कारण ज्यादातर पर्यटक प्रतिवर्ष यहां आते थे। इसके कारण पहाड़ों की रानी दार्जिलिंग में पर्यटन व्यवसाय खूब फलता-फूलता था। दुकानें बंद होने से उनका व्यापार प्रभावित हो गया है। पहाड़ में रोजगार के साधन कम होने से उनके चेहरे पर चिंता होना सामान्य बात है। ऐसे में लोगों को रोप-वे के शुरू होने का इंतजार होना स्वाभाविक है, ताकि उनकी रोजी-रोटी चल सके।
सिंगमारी से शुरू होकर यह रोप-वे बंगाल और सिक्किम राज्य के सिमाना नया बाजार तक जाता था। इसका आनंद लेने के लिए प्रतिवर्ष यहां हजारों पर्यटक आते थे। उस समय माना जाता था कि यह रोप-वे एशिया का सबसे लंबा रोप-वे था। इस बीच वर्ष 1986 में तकनीकी दिक्कत के कारण लिम्बु बस्ती स्टेशन से सिंगला एवं नया बाजार स्टेशन की ओर जाने वाले रोप-वे को बंद कर दिया गया था। वर्ष 1998 में सीआरएस कंपनी और राज्य के वन विभाग ने इसका नवीनीकरण किया और सात से ज्यादा टोली के लिए इस रोप-वे का निर्माण हुआ। इसके कारण स्थानीय दुकानदारों की अच्छी कमाई होती थी। प्रतिदिन हजारों रुपए की कमाई करते थे। इस बीच 19 अक्टूबर 2003 को रोप-वे दुर्घटना हो गई। इसमें चार पर्यटकों की जान चली गई थी और 11 लोग घायल भी हुए थे। तब से यह रोप-वे बंद पड़ा हुआ है। इसके कारण आज भी यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। इसको चालू कराने की बात पर एक विभागीय अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि रोप-वे का शुरू कराने के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। इस बाबत एनओसी का इंतजार किया जा रहा है। संबंधित विभाग ने जिस दिन एनओसी जारी कर दिया, उसी दिन से रोप-वे चालू कराने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया जाएगा। रोप-वे बंद होने से पर्यटक भी निराश हैं। उनकी मौज-मस्ती नहीं हो पा रही है। इससे उन्हें काफी रोमांच मिलता था और इसके कारण ज्यादातर पर्यटक प्रतिवर्ष यहां आते थे। इसके कारण पहाड़ों की रानी दार्जिलिंग में पर्यटन व्यवसाय खूब फलता-फूलता था। दुकानें बंद होने से उनका व्यापार प्रभावित हो गया है। पहाड़ में रोजगार के साधन कम होने से उनके चेहरे पर चिंता होना सामान्य बात है। ऐसे में लोगों को रोप-वे के शुरू होने का इंतजार होना स्वाभाविक है, ताकि उनकी रोजी-रोटी चल सके।
Post a Comment
We love to hear from you! What's on your mind?