Siliguri,29 : गोरखालैंड सहित हिल्स के सभी मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात होगी। हम मुख्यमंत्री को उनके संघर्ष की जीत पर बधाई देने जा रहे है। यह कहना है गोरखाजनमुक्ति मोर्चा अध्यक्ष विमल गुरुंग का। वह रविवार को बागडोगरा हवाई अड्डा पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। उनके साथ गोजमुमो केंद्रीय कमेटी सदस्य एलबी परियार व पी अर्जुन भी कोलकाता गए है।
गुरुंग ने कहा कि हिल्स के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ सोमवार को होने वाली बैठक में वह गोरखालैंड सहित सभी मुद्दे को विस्तार से उठाएंगे। बैठक में हिल्स के तीनों निर्वाचित विधायक और पार्टी महासचिव रोशन गिरि भी भाग लेंगे। वह पहले से ही कोलकाता में कैंप कर रहे है। नई सरकार से गोजमुमो को पूरी आशा है। उम्मीद है कि हिल्स समस्या का सम्मानजनक समाधान निकल आएगा। मुख्यमंत्री को पहाड़ पर आने का निमंत्रण भी दिया जाएगा क्योंकि वह हिल्स के विकास को स्वयं देख रही हैं। मुख्यमंत्री को बताया जाएगा कि कैसे वामो ने गोरखा समुदाय का शोषण किया। कैसे वहां विकास के नाम पर मजाक किया गया। वहा के कर्मचारियों को स्थायी नहीं किया गया है। कैसे पूर्व सैनिक मोर्चा और सिब्चू कांड में निर्दोष युवक युवतियों को गोली से भून दिया गया। एक प्रश्न के जवाब में गुरुंग ने कहा कि बैठक में क्या होगा यह बैठक के बाद बताया जाएगा। मालूम हो कि दार्जिलिंग हिल्स में गोरखालैंड अलग राज्य के मुद्दे पर 22 अगस्त 1988 में त्रिपक्षीय समझौता के बाद गोरखा पार्वत्य परिषद का गठन हुआ था। उस समय प्रधानमंत्री राजीव गांधी, मुख्यमंत्री ज्योति बसु और गृहमंत्री बूटासिंह थे। आंदोलन का नेतृत्व गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा अध्यक्ष सुभाष घीसिंग कर रहे थे। गोजमुमो और तृकां के भीतरखाने से मिली जानकारी के अनुसार 23 वर्षो बाद पुन गोरखालैंड मुद्दे पर त्रिपक्षीय वार्ता से एक विकल्प समाधान वर्ष 2011 में निकलना तय है। स्थिति कुछ अलग है। केंद्र और राज्य में कांग्रेस और तृणमूल की सरकार है। जिससे आपसी सहमति में कोई परेशानी नहीं आएगी। इन दिनों आंदोलन की बागडोर गोरखा मुक्ति मोर्चा के बदले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के हाथ में है। कयास लगाया जा रहा है कि पूर्व की त्रिपक्षीय वार्ता के आधार पर गोजमुमो की मांग गोरखालैंड अंतरिम प्राधिकरण, ममता मान सकती हैं। प्रक्रिया और सीमांकन के मुद्दे सोमवार की बैठक में तय कर ली जाएगी। यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक से पहले इस मुद्दे पर गृहमंत्री से कई बार बात की है।
गुरुंग ने कहा कि हिल्स के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ सोमवार को होने वाली बैठक में वह गोरखालैंड सहित सभी मुद्दे को विस्तार से उठाएंगे। बैठक में हिल्स के तीनों निर्वाचित विधायक और पार्टी महासचिव रोशन गिरि भी भाग लेंगे। वह पहले से ही कोलकाता में कैंप कर रहे है। नई सरकार से गोजमुमो को पूरी आशा है। उम्मीद है कि हिल्स समस्या का सम्मानजनक समाधान निकल आएगा। मुख्यमंत्री को पहाड़ पर आने का निमंत्रण भी दिया जाएगा क्योंकि वह हिल्स के विकास को स्वयं देख रही हैं। मुख्यमंत्री को बताया जाएगा कि कैसे वामो ने गोरखा समुदाय का शोषण किया। कैसे वहां विकास के नाम पर मजाक किया गया। वहा के कर्मचारियों को स्थायी नहीं किया गया है। कैसे पूर्व सैनिक मोर्चा और सिब्चू कांड में निर्दोष युवक युवतियों को गोली से भून दिया गया। एक प्रश्न के जवाब में गुरुंग ने कहा कि बैठक में क्या होगा यह बैठक के बाद बताया जाएगा। मालूम हो कि दार्जिलिंग हिल्स में गोरखालैंड अलग राज्य के मुद्दे पर 22 अगस्त 1988 में त्रिपक्षीय समझौता के बाद गोरखा पार्वत्य परिषद का गठन हुआ था। उस समय प्रधानमंत्री राजीव गांधी, मुख्यमंत्री ज्योति बसु और गृहमंत्री बूटासिंह थे। आंदोलन का नेतृत्व गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा अध्यक्ष सुभाष घीसिंग कर रहे थे। गोजमुमो और तृकां के भीतरखाने से मिली जानकारी के अनुसार 23 वर्षो बाद पुन गोरखालैंड मुद्दे पर त्रिपक्षीय वार्ता से एक विकल्प समाधान वर्ष 2011 में निकलना तय है। स्थिति कुछ अलग है। केंद्र और राज्य में कांग्रेस और तृणमूल की सरकार है। जिससे आपसी सहमति में कोई परेशानी नहीं आएगी। इन दिनों आंदोलन की बागडोर गोरखा मुक्ति मोर्चा के बदले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के हाथ में है। कयास लगाया जा रहा है कि पूर्व की त्रिपक्षीय वार्ता के आधार पर गोजमुमो की मांग गोरखालैंड अंतरिम प्राधिकरण, ममता मान सकती हैं। प्रक्रिया और सीमांकन के मुद्दे सोमवार की बैठक में तय कर ली जाएगी। यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक से पहले इस मुद्दे पर गृहमंत्री से कई बार बात की है।
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