(जागरण)सिलीगुड़ी, कार्यालय संवाददाता
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस की दोहरी नीति को लोग पहचान गये हैं। माकपा जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में इस बात को समझाने में सफल हो रही है। यह कहना है सिलीगुड़ी माकपा प्रत्याशी अशोक नारायण भट्टाचार्य का। श्री भट्टाचार्य ने कहा कि कांग्रेस आदिवासी विकास परिषद से तो तृणमूल कांग्रेस गोजमुमो से लगातार संपर्क बनाए हुए है। जबकि सीमांकन के मुद्दे पर आविप और गोजमुमो के बीच विवाद है। इन दोनों संगठनों के सहयोग से जिले की जनता जान चुकी है कि माकपा विपक्षियों पर जो आरोप लगाती थी वह सौ प्रतिशत सच था। श्री भट्टाचार्य ने चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं के पास जाकर यह भी बताया कि आविप का अर्थ आदिवासी और गोजमुमो का अर्थ गोरखा नहीं है। ऐसा होता तो आदिवासी और गोरखा माकपा के टिकट पर चुनावी मैदान में नहीं होते। मदन तमांग जैसे गोरखा नेता की दिन दहाड़े हत्या न की जाती। शांति का पैगाम लेकर 25 जनवरी को दिल्ली से लौटने पर फिर अलग राज्य की मांग पर आंदोलन नहीं किया जाता। अलगाववाद आंदोलन नहीं हो सकता यह क्षेत्र की शांति और सद्भाव को नष्ट करने का नाम है।
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस की दोहरी नीति को लोग पहचान गये हैं। माकपा जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में इस बात को समझाने में सफल हो रही है। यह कहना है सिलीगुड़ी माकपा प्रत्याशी अशोक नारायण भट्टाचार्य का। श्री भट्टाचार्य ने कहा कि कांग्रेस आदिवासी विकास परिषद से तो तृणमूल कांग्रेस गोजमुमो से लगातार संपर्क बनाए हुए है। जबकि सीमांकन के मुद्दे पर आविप और गोजमुमो के बीच विवाद है। इन दोनों संगठनों के सहयोग से जिले की जनता जान चुकी है कि माकपा विपक्षियों पर जो आरोप लगाती थी वह सौ प्रतिशत सच था। श्री भट्टाचार्य ने चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं के पास जाकर यह भी बताया कि आविप का अर्थ आदिवासी और गोजमुमो का अर्थ गोरखा नहीं है। ऐसा होता तो आदिवासी और गोरखा माकपा के टिकट पर चुनावी मैदान में नहीं होते। मदन तमांग जैसे गोरखा नेता की दिन दहाड़े हत्या न की जाती। शांति का पैगाम लेकर 25 जनवरी को दिल्ली से लौटने पर फिर अलग राज्य की मांग पर आंदोलन नहीं किया जाता। अलगाववाद आंदोलन नहीं हो सकता यह क्षेत्र की शांति और सद्भाव को नष्ट करने का नाम है।
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